लेखनी प्रतियोगिता -05-Nov-2021
शामों का काम ढलना है , ये ढलेगी ही
हवाओ का काम चलना है , ये चलेगी ही
जुल्फों की तो ये फितरत है , ये उड़ेगी ही
इंसानों की फितरत है , ये कमी निकालेंगे ही
लोग क्या कहेंगे ये सोचना छोड़
लोगो का क्या है वो तो बोलेंगे ही
अच्छा करो तो भी
बुरा करो तो भी
ना करो तो भी
इस शाम की तरह बनो
जो जनता है , आने से उसके होगा अँधेरा
लेकिन वो अपना काम कर रहा
Seema Priyadarshini sahay
06-Nov-2021 04:22 PM
बहुत खूबसूरत
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Himanshu Kumar
06-Nov-2021 05:44 PM
sukriya
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Niraj Pandey
06-Nov-2021 01:37 PM
बहुत खूब
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Himanshu Kumar
06-Nov-2021 05:44 PM
dhanywaad ji
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ऋषभ दिव्येन्द्र
06-Nov-2021 01:03 PM
बहुत खूब 👌👌
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Himanshu Kumar
06-Nov-2021 05:44 PM
bahut bahut sukriya
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